What is nifty and Sensex in Hindi, what is nifty and Sensex

what is nifty and sensex in hindi

हर रोज यह सेंसेक्स और निफ्टी ऊपर नीचे होते रहते हैं तो कई बार आप लोगों के मन में सवाल आता होगा कि आखिर यह sensex और निफ्टी दर्शाते क्या है ये होते क्या है ये कैसे बने हुए हैं और ये ऊपर नीचे क्यों होते हैं क्यों क्या वह रीजन है कि ये रोज फ्लकचुएट होते हैं तो आज इस ब्लॉग में मैं आपको समझाऊंगा सेंसेक्स और निफ्टी के बारे में सब कुछ कि उनके डेली मूवमेंट्स क्यों होते हैं और आपको उन्हें कैसे इंटरप्रेट करना है ताकि आप इनके मूवमेंट के बेसिस पर पैटर्न डिसीजंस ले सके

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आज हम जानते हैं सेंसेक्स और निफ्टी का पूरा सच दिन भर न जाने कितने ही बिजनेस न्यूज चैनल सेंसेक्स और निफ्टी में उतार-चढ़ाव को रियल टाइम लाइव रिपोर्ट करते रहते हैं जैसे दुनिया की सबसे जरूरी चीज यही हो गई और सेंसेक्स अगर 200 पॉइंट गिर जाएगा तो पता नहीं क्या हो जाएगा तो आज मैं आपको बताता हूं कि यह सेंसेक्स और निफ्टी है क्या

what is the difference between nifty and sensex

चुनाव में हम सब देखते हैं कि जब भी चुनाव होते हैं तो ओपिनियन पोल या एग्जिट पोल आते हैं रिजल्ट के पहले एग्जिट पोल आते हैं तो यह एग्जिट पोल क्यों आते हैं इसका सिंपल सा रीजन है ताकि आपको एक अंदाजा लग जाए कि यह इलेक्शन किस तरफ जाने वाला है लेकिन हमेशा एग्जिट पोल सही हो ऐसा जरूरी नहीं ज्यादातर समय 67% ऑफ द टाइम्स एग्जिट पोल सही होते हैं लेकिन वह हर बार सही नहीं होते क्यों सही नहीं होते क्योंकि एग्जिट पोल में अगर लाखों वोटर है तो उनमें से कुछ हजार लोगों से पूछा जाता है एक छोटे से सैंपल से पूछा जाता है कि आपने किस पार्टी को वोट दिया और उसे सैंपल के हिसाब से ही अंदाजा लगाया जाता है कि लाखों लोगों ने किसे वोट दिया होगा तो कई बार वह सैंपल लाखों लोगों के ओपिनियन को सही नहीं बात पता

तो स्टॉक मार्केट में भारतीय स्टॉक मार्केट में साढे तीन 4000 कंपनियां लिस्टेड है अब उन 4000 कंपनियों का आप प्राइस तो देख नहीं सकते लेकिन आपको एक जनरल अंदाजा चाहिए कि आज मार्केट कहां जा रहा है ज्यादातर कंपनियां आज बढ़ रही है या आज गिर रही है मार्केट का सेंटीमेंट या डायरेक्शन क्या है तो बेसिकली सेंसेक्स और निफ्टी एक तरह का एग्जिट पोल है जो एक छोटे सैंपल साइज से यह प्रेरित करने की कोशिश करता है कि ओवरऑल मार्केट कहां जा रहा है तो सेंसेक्स में 30 कंपनियां है निफ्टी में 50 कंपनियां है

वह 30 कंपनियों के डायरेक्शन से सेंसेक्स आपको एक जनरल ओपिनियन देता है कि आज मार्केट बढ़ा हुआ है या गिरा हुआ है वैसे ही निफ्टी 50 कंपनियों के छोटे से सैंपल से आपको मार्केट मूवमेंट का ओपिनियन देता है ज्यादातर समय ऐसा होता है कि यह 50 कंपनियां जहां जा रही हैं क्योंकि यह 50 सबसे बड़ी कंपनियां है जो निफ्टी में है वही पूरा मार्केट जाता है 60 से 70% बार ऐसा ही होता है लेकिन हर बार ऐसा हो जरूरी नहीं है इसीलिए सेंसेक्स या निफ्टी पर आपको आंख बंद करके भरोसा नहीं करना है वह बस एक आपका टाइम बढ़ाने के लिए एक जनरल शॉर्ट टाइम में आईडिया देने के लिए बना हुआ इंडेक्स है

सेंसेक्स और निफ्टी बनता कैसे हैं

अब जानते हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी बनता कैसे हैं देखिए सेंसेक्स में है 30 बड़ी कंपनियां निफ्टी में है 50 बड़ी कंपनियां हम सेंसेक्स का एग्जांपल लेते हैं सेंसेक्स में 30 बड़ी कंपनियां है फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन के हिसाब से यानी कि पहले हम बात करते हैं मार्केट केपीटलाइजेशन की मार्केट केपीटलाइजेशन क्या होता है कि कंपनी के एक शेयर का दाम कितना है जैसे कंपनी के एक शेयर का दाम है₹20

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किसी कंपनी के अगर 5 शेयर्स है और एक कंपनी के शेयर का दाम है ₹20 तो प्राइस ऑफ वन शेयर इन नंबर ऑफ़ शेयर्स 5×20 इस केस में हो गया ₹100 तो यह ₹100 उसे कंपनी का मार्केट केपीटलाइजेशन हुआ लेकिन सिर्फ मार्केट केपीटलाइजेशन से कंपनियां सेंसेक्स में इंक्लूड नहीं होती सेंसेक्स में इंक्लूड होती है फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन से

अब फ्री फ्लोट क्या है फ्री फ्लोट यानी वह मार्केट केपीटलाइजेशन जो ऑनर्स के शेयर्स को हटाकर बचता है जैसे किसी कंपनी के पांच शेयर है जिसमें से तीन शेयर कंपनी के ऑनर्स के पास ही है उन्होंने स्टॉक एक्सचेंजके जरिए कभी उन शेयर्स को बाजार में उतर ही नहीं तो वह तीन शेयर जो कंपनी के ओनर के पास ही है वह – हो जाएंगे यानी अब इसी कंपनी के जिसके पांच शेयर हैं

और ₹20 का एक शेर है उसमें से अगर तीन ऑनर के पास ही है तो इस कंपनी का फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन काउंट होता दो शेयर्स जो पब्लिक के पास है इन ₹20 यानी ₹40 तो सेंसेक्स में वह 30 कंपनियां है जिनका भारत में फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन सबसे ज्यादा है ऐसी 30 कंपनियां अलग-अलग सेक्टर से मिलकर ही आती है जैसे भारत में सबसे ज्यादा वेज है फाइनेंशियल सर्विसेज का बैंक का एनबीएफसी इसका इस तरह की कंपनियों का आईटी का भी काफी ज्यादा वेज है

 तो अलग-अलग सेक्टर से मिलकर जो 30 बड़ी कंपनियां है फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन के हिसाब से वह सेंसेक्स का हिस्सा होती है और वह जितना ऊपर नीचे होती है उसके हिसाब से डिसाइड होता है कि आज सेंसेक्स कितना ऊपर नीचे हो रहा है इस तरह एनएससी में निफ्टी जो है उसमें 50 इस तरह कीकंपनी चुनी जाती है 50 बड़ी कंपनियां फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन के हिसाब से जो फर्क यही है कि एक में 30 कंपनियां है 150 कंपनी है और इसीलिए हर बार यह दोनों इंडेक्स से प्रोपोर्शन में नहीं बढ़ते तभी सेंसेक्स एक परसेंट ऊपर रहता है तो निफ्टी आधा परसेंट ऊपर रहता है

क्योंकि उसमें 20 कंपनियां ज्यादा है अब इसमें दो इंर्पोटेंट इश्यूज है नो डाउट की इंडेक्स सेंसेक्स या निफ्टी हमारा बहुत टाइम बचाता है और हम एक सेकंड में पता चल जाता है की मार्केट का आज मूड कैसा है खास करके जब सेंसेक्स बहुत ज्यादा बढ़ा हो या बहुत ज्यादा गिरा हो तो हम सुरेली यह कह सकते हैं कि आज मार्केट का मूड खराब ही है लेकिन इस पर पूरी तरीके से आंख बंद करके भरोसा करना भी सही नहीं है इसकी दो लिमिटेशन है पहले इमिटेशन कि इनमें 30 सबसे बड़ी कंपनियां नहीं है 30 सबसे बड़ी वह कंपनी है जिनका फ्री फ्लोट मार्केट केपीटलाइजेशन सबसे ज्यादा है

यानी इसे एक एग्जांपल से समझते हैं एक मान लीजिए कंपनी ए है जो 1000 करोड़ की कंपनी है लेकिन उसमें से 750 करोड रुपए के शेयर्स ऑनर के पास खुद ही है यानी वह फ्री प्लांट में काउंट नहीं होगा सिर्फ ढाई सौ करोड़ही फ्री प्लॉट में काउंट होता तो उसे कंपनी को यह माना जाएगा कि यह ढाई सौ करोड़ की कंपनी है और एक दूसरी कंपनी है जो 500 करोड़ की है कंपनी भी यानी कंपनी साइज की है लेकिन इसमें 400 करोड़ के शेयर्स पब्लिक के पास है

और केवल 100 करोड़ के शेयर्स ऑनर के पास है तो क्योंकि फ्री फ्लोट इसका 400 करोड रुपए का है तो इस कंपनी भी को कंपनी ए से बड़ा माना जाएगा और इंडेक्स में इसे ज्यादा वेटेज दिया जाएगा यानि कहने को यह कंपनी आधे साइज की है लेकिन सेंसेक्स में इसका वेटिंग ज्यादा होगा और इसके ऊपर या नीचे होने से सेंसेक्स ज्यादा ऊपर नीचे होगा या नहीं यह हमें सही-सही पिक्चर नहीं दिख रहा सेकंड प्रॉब्लम सिर्फ 30 या 50 कंपनियों के सैंपल साइज से हम 4000 कंपनियों के मूवमेंट को पूरे देश की बड़ी 4000 कंपनियों के सेंटीमेंट को मूवमेंट को जज करने की कोशिश कर रहे हैं यह कुछ ऐसा है

 कि किसी ऐसे स्कूलों में जिसमें चार-चार बच्चे पढ़ते हो उसमें आप 30 टॉपर्स को इकट्ठा करो और वह 30 टॉपर्स अगले टेस्ट में जैसा परफॉर्म कर रहे हैं उसके बेसिस परअपने पूरे 4000 बच्चों का परफॉर्मेंस जज कर लिया तो यह बहुत ज्यादा एक्यूरेट नहीं हो सकता कई बार गलत पिक्चर भी देगा थर्ड प्रॉब्लम इसमें थोड़ा सरवाइवरशिप बायस आ जाता है जैसे 30 कंपनियां जो आज सेंसेक्स में है कल को वह अच्छा परफॉर्म न करें तो सेंसेक्स थोड़े दिन तो गिरेगी उसके बाद क्या होगा इन 30 कंपनियों को हटा दिया जाएगा और 30 नई कंपनियों को ले आया जाएगा और फिर हो सकता है वह अच्छा परफॉर्म करें तो सेंसेक्स फिर से बढ़ने लगे तो कई बार ऐसा होता है कि सेंसेक्स में क्योंकि 30 सबसे बड़ी कंपनियां है तो वह तो अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं

क्योंकि वह देश की बेस्ट और बिगेस्ट कंपनियां है लेकिन उसके नीचे की कंपनियां अच्छा परफॉर्म नहीं कर रही और वहां रिटर्न नहीं मिल रहा और जैसे ही कोई कंपनी सेंसेक्स में है वह अच्छा परफॉर्म नहीं करती है उसका शेयर प्राइस गिरता है जैसे ही शेयर प्राइस गिरेगा तो फ्री फ्लोट मार्केट कैप भी गिरेगा तो मुझे गिरता है तो हर क्वार्टरली हर 3 महीने में से रिव्यू किया जाता है

और अगर वह अब देश के 30 सबसे बड़ी कंपनियों में नहीं है क्योंकि इसका मार्केट कैप गिर गया है तो उसे हटाकर एकनई कंपनी को ले आया जाएगा यानी जो कंपनी परफॉर्म नहीं कर रही वह सेंसेक्स निकल जाती है जो परफॉर्म कर रही है वह आ जाती है तो हमेशा विनर को सेंसेक्स में रखा जाता है जैसे ही वह थोड़ा बड़ा हुए उन्हें निकाल कर दूसरे विनर को ले आया जाता है तो सेंसेक्स बहुत ही वैक्यूम में एक फिगरदिखता है

निकाल के दूसरे विनर को ले आया जाता है तो सेंसेक्स बहुत ही वैक्यूम में एक फिगर दिखता है वह सिर्फ यही बता रहा है एक तरीके से की यह 30 कंपनियां आजकल अच्छा कर रही है बाकी काम नहीं अच्छा नहीं कर रही क्योंकि जो अच्छा नहीं कर रही उसे तो आप हटा देते हो तो कई बार ऐसी सिचुएशन होती है कि सेंसेक्स तो बढ़ रहा है लेकिन आपकी पोर्टफोलियो नहीं बढ़ रहा कई बार हमें ये लगता है कि सेंसेक्स क्यों बढ़ रहा है मेरे पोर्टफोलियो में तो रिटर्न नहीं आ रहा है ये इसीलिए होता है कि सेंसेक्स में तो है ही वह कंपनियां जो पिछले कुछ महीनो से अच्छा कर रही है और अभी देश की बड़ी कंपनियां हुई हुई है

मार्केट कैप वाइस जैसे ही शेयर गिरेगा उन्हें हटा दिया जाएगा तो अपने परफॉर्मेंस को बहुत ज्यादा सेंसेक्स से कंपेयर ना करें क्योंकि सेंसेक्स में टेंपरेरी विनर आते रहते हैं तो आप इससे अगला सवाल उठता है कि अगर ऐसा है कि सेंसेक्स में बेस्ट 30 परफॉर्मिंग कंपनियां जो बिगेस्ट हो गई है मार्केट कैप वाली वह है तो क्या हमको भी उन कंपनी में इन्वेस्ट कर लेना चाहिए ऐसा भी बिल्कुल नहीं है

क्योंकि सेंसेक्स में पस्त परफॉर्मेंस के बेसिस पर वह काम दिया इंक्लूड होती है या नहीं पिछले तीन महीना में किन कंपनियों का शेर बड़ा और वह देश की 30 सबसे बड़ीकंपनियों में हो गई है उनको सेंसेक्स में इंक्लूड किया जाता है तो जब तक कई बार ऐसा होता है कि जब तक वह अपनी सेंसेक्स में इंक्लूड हुई और आपको पता चले कि अच्छा यह कंपनी अब सेंसेक्स पर इंक्लूड हुई है तो मैं ले लेता हूं तब तक वह कंपनी ऑलरेडी बहुत महंगी हो चुकी रहती है उसमें वैल्यू नहीं बचती वह ओवरवैल्यूड हो गई रहती है

और ऐसे में अब अगर आप उसे कंपनी में निवेश करेंगे तो आप काफी महंगे में उसे कंपनी को इंटर करेंगे ऐसा हो सकता है क्योंकि स्टॉक मार्केट में आपको विनर के पीछे-पीछे नहीं भागना है विनर को पहले ही आईडेंटिफाई करना है जैसे रेस में आपको सही घोड़े पर रेस शुरू होने के पहले दावा लगाना है प्रदेश शुरू हो जाए और जो घोड़ा आगे है आप दौड़ के उसे पकड़ नहीं सकते इस तरह सेंसेक्स में कौन सी कंपनी अगले साल आ सकती है कौन सी कंपनी अब देश की सबसे बड़ी 30 कर्मियों में शामिल हो सकती है ऐसा

अगर आप आज आईडेंटिफाई कर सकें तो वह बहुत अच्छा है एक बार वह सेंसेक्स में शामिल हो जाए फिर उसमें इन्वेस्ट करना हर बार यह प्रॉफिटेबल नहीं होने वाला है और बेसिकली अगर आपको इस ब्लॉग से कोई एक चीज अपने साथ लेकर जानी है तो वह यह की अपनी पोर्टफोलियो को सेंसेक्स से हमेशा कंपेयर ना करें आपकी पोर्टफोलियो अलग है वह देश की टॉप 30 कंपनियों से नहीं बनी है अगर आप मिटकर आप स्मॉल कैप में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो पिछले दो साल में हो सकता है आपको अच्छा रिटर्न ना मिला हो लेकिन वहां बहुत ज्यादा वैल्यू है वहां बहुत अंडरवैल्यूड स्टॉक्स है आज नहीं तो एक साल बाद एक साल नहीं तो 2 साल बाद अगर आपकी पोर्टफोलियो में क्वालिटी मीत टोपी और स्मॉल कैप स्टॉक्स हैं तो डेफिनेटली आप सेंसेक्स को आउट परफॉर्म काफी अच्छे मार्जिन से कर सकते हैं

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