FPI ने अप्रैल के महीने में भारतीय शेयर बाजारों से 325 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह एक अहम विश्लेषण है जो बाजार के संकेतों को समझने में मदद कर सकता है।

FPI withdrew ₹325 cr from Indian stocks : FPI ने अप्रैल के महीने में भारतीय शेयर बाजारों से 325 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह एक अहम विश्लेषण है जो बाजार के संकेतों को समझने में मदद कर सकता है। निवेशकों के लिए इससे चिंता की बात भी है क्योंकि इससे बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है, तो निवेशकों को उपयुक्त कार्रवाई करने की आवश्यकता हो सकती है। इस संदर्भ में, उन्हें बाजार के विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखना चाहिए।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) की निकासी ने बाजार में चिंता का संकेत दिया है। आम चुनावों और अर्थव्यवस्था के मामलों में स्थिरता के बीच, एफपीआई ने शेयर बाजारों से धन निकाला है। इसके पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं, जैसे बाजार में अस्थिरता या अन्य निवेश विकल्पों में बेहतर निवेश का मौका।

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FPI

वित्तीय तथ्यों के अनुसार, एफपीआई ने मार्च और फरवरी में भारतीय शेयर बाजार में निवेश किया था, लेकिन अब वे शेयरों की बिक्री कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि और अन्य अंतरराष्ट्रीय निवेश के मौकों के कारण विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ सकती है।

अन्य विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी निवेशकों की बिक्री अभी लिमिटेड है, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में सक्रियता बढ़ रही है और नए ऊंचे स्तर पर पहुंच रहा है। वे सोचते हैं कि विदेशी निवेशक शायद चुनावों के बाद या फिर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती के संकेत के बाद फिर से बाजार में लौट सकते हैं।

FPI withdrew ₹325 cr from Indian stocks

शेयर बाजारों में उच्च मूल्यांकन और आम चुनावों के बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सतर्कता जताई है, और उन्होंने इस महीने के पहले सप्ताह में बाजार से 325 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह निर्णय बाजार की स्थिरता और आगामी आर्थिक संकेतों के प्रति उनकी चिंता को दर्शाता है। इसके अलावा, यह निवेशकों के ध्यान में बाजार की विभिन्न पहलुओं को भी लेकर आएगा।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में 35,000 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुद्ध निकासी की। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने बताया कि अमेरिका में 10-वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 4.4 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे आने वाले समय में भारत में एफपीआई निवेश पर प्रभाव पड़ सकता है।

उन्होंने बताया कि अमेरिकी बॉन्ड के उच्च प्रतिफल के बावजूद एफपीआई की बिक्री को सीमित रखा जाएगा, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखी जा रही है और यह निरंतर नए रिकॉर्ड बना रहा है। कैपिटलमाइंड के वरिष्ठ शोध विश्लेषक कृष्णा अप्पाला ने बताया कि आम चुनाव के बाद या अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दर में कटौती के प्रारंभिक संकेत मिलने पर एफपीआई वापस लौट सकते हैं।

fpi full form in hindi

FPI का हिंदी में पूरा रूप “विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक” होता है।

FPI (Foreign Portfolio Investor)

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